RBI ने कहा- कोरोना महामारी नहीं, नई तकनीक है बैंकों की चुनौती
नई दिल्ली। पिछले वर्ष कोरोना कोराना महामारी सामने आने के बाद माना जा रहा था कि पहले से कई चुनौतियों से जूझ रहे भारतीय बैंकिंग सेक्टर की नींव इससे और कमजोर हो सकती है। बैंकिंग क्षेत्र के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने मंगलवार को अपनी सालाना रिपोर्ट ट्रेंड एंड प्रोग्रेस आफ बैंकिग इन इंडिया 2020-21 जारी की है, जिसमें मोटे तौर पर कहा गया है कि देश के वाणिज्यिक बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने हर तरह से अपनी स्थिति पहले से मजबूत की है। लेकिन तकनीक में लगातार हो रहे बदलाव से बैंकों के समक्ष अवसर के साथ ही चुनौतियां भी पनप और बढ़ रही हैं। हालात तेजी से बदल रहे हैं और नियमन को लेकर भी उसी तेजी से बदलाव की जरूरत है।
तकनीक पर आधारित वित्तीय सेवा देने वाली कंपनियां (फिनटेक) बैं¨कग परिदृश्य को बदल रही हैं और आगे भी बड़े बदलाव कर सकती हैं।रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग सेक्टर अपने फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या को काफी हद तक काबू में करने में सफल रहा है और इसने निवेश पर ज्यादा रिटर्न हासिल किया है। मुनाफा अर्जित करने में भी कई बैंकों ने पिछले रिकार्ड तोड़े हैं। निश्चित तौर पर इसका काफी हद तक श्रेय बैं¨कग सेक्टर को सरकार की तरफ से समय पर दी गई मदद और केंद्रीय बैंक की निरंतर निगरानी को दिया जा सकता है। हालांकि इसके साथ ही बैंकिंग सेक्टर को तकनीक के स्तर पर पैदा हो रही चुनौतियों की तरफ खासतौर पर ध्यान देने की जरूरत है।
बैंकों को भविष्य की चुनौतियों से पार पाने के लिए गवर्नेस की गुणवत्ता सुधारने के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी ढांचे और ग्राहक सेवा को मजबूती देने की सलाह गई है। केंद्रीय बैंक ने इस रिपोर्ट में महामारी को लेकर जारी वैश्विक अनिश्चितता को भी एक भावी चुनौती के तौर पर पेश किया है।आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो बैंकों की मजबूती दिखाने वाला, परिसंपत्तियों के सापेक्ष पूंजी जोखिम का अनुपात (सीआरएआर) वर्ष 2019-20 में 14.8 प्रतिशत था जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 16.3 और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 16.6 प्रतिशत हो चुका है। परिसंपत्तियों के सापेक्ष एनपीए का अनुपात मार्च, 2020 में 8.2 प्रतिशत था जो सितंबर, 2021 में घटकर 6.9 प्रतिशत रह गया है। वहीं, निवेश पर रिटर्न मार्च, 2020 में 0.2 प्रतिशत था जो मार्च, 2021 में बढ़कर 0.7 प्रतिशत हो गया है।एनपीए वसूली में सुस्तीकोराना काल में एनपीए को काबू करने में बैंकों को निश्चित तौर पर सफलता मिली है।
लेकिन इनकी वसूली के सिस्टम बहुत मजबूत नहीं दिख रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 में कर्ज वसूली के लिए लगे चारों तंत्रों (कर्ज वसूली प्राधिकरण, लोक अदालत, सरफेसी कानून और आइबीसी) से बकाया कर्ज की 22 प्रतिशत वसूली हुई थी जो वर्ष 2020-21 में घटकर 14. प्रतिशत रह गई है। नये दिवालिया कानून (आइबीसी) के जरिये कर्ज वसूली का स्तर एक ही वर्ष में 46.3 प्रतिशत से घटकर 20.2 प्रतिशत रह गया है। इसके पीछे एक वजह यह भी हो सकती है कि सरकार ने महामारी को देखते हुए इस प्रक्रिया के तहत नये मामले दर्ज करने को लेकर रोक लगा दी थी। बहरहाल, ताजे आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा साल में कर्ज की रफ्तार फिर बढ़ रही है। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने कर्ज वसूली को लेकर बैंकों को और ज्यादा सतर्क होने की बात कही है।