सबरीमाला: 3 हफ्ते बाद होगी सुनवाई, SC ने कहा- पहले सुनवाई के मुद्दे तय करें पक्षकार

नई दिल्ली: केरल (Kerala) के सबरीमाला (Sabrimala) मामले में सुनवाई कर रहे 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 3 हफ्ते बाद का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को तीन हफ्ते का समय यह तय करने के लिए दिया है कि किन-किन मुद्दों पर सुनवाई होगी. 17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल इस मामले से जुड़े सभी वकीलों के साथ बैठक करेंगे. बैठक में तय होगा कि किस इश्यू पर कौन एडवोकेट दलील देगा. बैठक में मुद्दों को अदालत के समक्ष किस तरह से रखा जाए और कौन बहस करेगा, दलीलों को पेश करेगा. यह स्पष्ट किया जएगा.
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. CJI एसए बोबडे (CJI SA Bobde) ने कहा कि संविधान पीठ आज पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि आज पांच जजों के संविधान पीठ द्वारा 14 नवंबर को भेजे गए सात सवालों पर बात की जा रही है.
CJI ने कहा कि जब रिफरेंस पर फैसला दे देंगे उसके बाद सबरीमला मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की जाएगी. वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. ये कोर्ट का काम नहीं है कि वो बताए की मेरा धर्म क्या है और हम अपने धर्म का अनुसरण कैसे करें? इसपर CJI जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आपके आपत्ति में कोई मैरिट नहीं है, हम मामले की सुनवाई जारी रखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने साफ किया कि इस मामले में बहस करने के लिए एक समय सीमा तय की जाएगी. अदालत ने कहा कि हम नहीं चाहते कि दलीलों की पुनरावृत्ति हो इसलिए सभी वकील आपस में बातचीत कर ये तय करें कि कौन-कौन बहस करेगा और कितनी देर?
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 50 से ज्यादा पुनर्विचार याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. इन पुनर्विचार याचिकाओं पर 9 जजों की पीठ सुनवाई करेगी. जिसमें चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एम शान्तनगौडर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस आर एस रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं. नौ जजों की बेंच मुख्य रूप से ये तय करेगी कि धार्मिक मामलों में कोर्ट किस हद तक दखल दे सकता है. इस मुद्दे में धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक और धर्म का अभिन्न हिस्सा बताने वाली धार्मिक प्रथाओं के संवैधानिक पहलू पर विचार किया जाएगा.