डोज न मिलने से नाराज हुआ यूक्रेन, वैक्सीन डिप्लोमेसी पर असमंजस में अमेरिका,
भारत को कोरोना वायरस वैक्सीन देने के अमेरिकी सरकार के फैसले से यूक्रेन नाराज हो गया है।यूक्रेन अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी देश है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन इस हफ्ते यूक्रेन की यात्रा पर जा रहे हैं।वेबसाइट पोलिटिको.कॉम के मुताबिक यूक्रेन और अमेरिका के अधिकरियों के बीच वैक्सीन की सप्लाई को लेकर राजनयिक स्तर पर बातचीत लगातार जारी रही है। पिछले दो अप्रैल को जब राष्ट्रपति जो बाइडन ने जेलेन्स्की को फोन किया था, उस समय भी यूक्रेन के राष्ट्रपति ने ये मांग उनके सामने रखी थी।खबरों के मुताबिक वैक्सीन देने के मामले में यूक्रेन पर भारत को तरजीह दिए जाने से दुखी राष्ट्रपति वोलोदीर जेलेन्स्की की सरकार ब्लिंकेन के सामने ये मसला उठाएगी। जेलेन्स्की सरकार पिछली दिसंबर से लगातार अमेरिका के सामने वैक्सीन की मांग पेश करती आई है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बाइडन प्रशासन रूस और चीन के मुकाबले अपनी वैक्सीन डिप्लोमेसी को तय करने में जुटा हुआ है। इसके लिए वह वैक्सीन का निर्यात बढ़ाने पर विचार कर रहा है। लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने अब तक इस बारे में यूक्रेन से कोई ठोस वादा नहीं किया है। वेबसाइट पोलिटिको.कॉम ने बाइडन प्रसासन के दो अधिकारियों से बातचीत के आधार पर कहा है कि अमेरिकी सरकार के पास इस बारे में बहुत से देशों से अनुरोध आए हैं। उनके बीच किन देशों को प्राथमिकता दी जाए, यह तय करना बाइडन प्रशासन के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस मामले में बाइडन प्रशासन दुविधा में फंसा हुआ है। उसकी इच्छा वैक्सीन डिप्लोमेसी को रफ्तार देने की है। लेकिन जब तक ज्यादातर अमेरिकियों का टीकाकरण नहीं हो जाता, वैक्सीन का निर्यात करना उसे उचित नहीं लगता। बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने वेबसाइट पोलिटिको से कहा कि भारत को वैक्सीन देने का फैसला इसलिए किया गया, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण से लोगों की मौत हो रही है। हालांकि अभी भी ये साफ नहीं किया गया है कि भारत को वैक्सीन के कुल कितने डोज दिए जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक यूक्रेन में संक्रमण अब उतार पर है। इसलिए उसे वैक्सीन देने का फैसला लेना उतना आसान नहीं है।
बताया जाता है कि बाइडन प्रशासन में कोविड-19 प्रबंधन के प्रभारी अधिकारियों के बीच वैक्सीन का निर्यात करने के सवाल पर गहरा मतभेद है। एक खेमे की राय है कि अभी यह पता नहीं है कि अमेरिका में टीकाकरण को गति देने के लिए कितनी संख्या में वैक्सीन डोज की जरूरत होगी। इसलिए अभी निर्यात करना समझदारी का काम नहीं होगा। लेकिन दूसरे खेमे का कहना है कि अमेरिका ने अलग-अलग वैक्सीन निर्माता कंपनियों को एक अरब डोज सप्लाई करने का ऑर्डर दे रखा है। इतने डोज अमेरिकियों के टीकाकरण के लिए काफी होंगे।
यूक्रेन की राजधानी कीव में वहां के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि ब्लिंकेन अपनी यात्रा के दौरान कोविड-19 संबंधी सहायता देने का एलान करेंगे, उन्हें इसकी आशा नहीं है। अमेरिकी विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान बातचीत मुख्य रूप से रूस के साथ यूक्रेन के जारी तनाव पर केंद्रित रहेगी। यूक्रेन के एक हलके में यह ख्याल देखा गया है कि अमेरिका वैक्सीन देने के मामले में भी वैसा ही रुख अपना रहा है, जैसा उसने यूक्रेन को सैनिक मदद देने के मामले में अपनाया है। हाल में रूस ने यूक्रेन से लगी सीमा पर अपनी सेना का बड़ा जमाव कर दिया था। लेकिन अमेरिका ने हथियारों की कोई खेप यूक्रेन नहीं भेजी।
यूक्रेन में अब तक कोविड-19 वैक्सीन की साढ़े सात लाख डोज लोगों को लगाई जा चुकी हैँ। ये एस्ट्राजेनिका कंपनी के वैक्सीन के डोज हैं। इस वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट से मार्च में यूक्रेन को इन डोज की खेप भेजी गई थी। यूक्रेन की आबादी लगभग साढ़े चार करोड़ है। इसे देखते हुए यूक्रेन ने पिछले महीने चीन की कंपनी साइनोवैक की वैक्सीन की मंजूरी दी। साइनोवैक से यूक्रेन 20 लाख डोज मंगवा रहा है।